भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई, 2020 को अनुमोदित नई शिक्षा नीति 2020, देश की शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी, न्यायपूर्ण और गतिशील बनाने का उद्देश्य रखती है। यह व्यापक नीति 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 को बदलने के लिए आई है।
मुख्य उद्देश्य:
1. प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का सार्वजनीकरण।
2. समानता, न्याय और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना।
3. शिक्षा में गुणवत्ता, प्रासंगिकता और नवाचार को बढ़ाना।
4. शिक्षा में तकनीक का समावेश।
5. अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना।
प्रमुख सुधार:
स्कूल शिक्षा:
1. 5+3+3+4 संरचना: मौजूदा 10+2 संरचना को नई संरचना से बदलना।
- आधारभूत चरण (आयु 3-8): 5 साल की प्री-प्राइमरी और प्राइमरी शिक्षा।
- तैयारी चरण (आयु 8-11): 3 साल की मिडल स्कूल।
- मिडल चरण (आयु 11-14): 3 साल की सेकेंडरी स्कूल।
- सेकेंडरी चरण (आयु 14-18): 4 साल की हाई स्कूल।
1. कला, विज्ञान और व्यावसायिक धाराओं के बीच कोई सख्त विभाजन नहीं।
2. मल्टीपल एंट्री/एग्जिट पॉइंट्स: छात्रों को शिक्षा प्रणाली से बाहर निकलने और फिर से प्रवेश करने की अनुमति।
उच्च शिक्षा:
1. बहुविषयक शिक्षा: संस्थानों को विविध कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित करना।
2. क्रेडिट ट्रांसफर: छात्रों को संस्थानों के बीच क्रेडिट ट्रांसफर करने की अनुमति।
3. स्वायत्तता: संस्थानों को नवाचार और अनुसंधान के लिए अधिक स्वायत्तता प्रदान करना।
4. ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा: ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा के अवसरों का विस्तार।
व्यावसायिक शिक्षा:
1. स्कूल शिक्षा में एकीकरण: कक्षा 6 से व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू करना।
2. उद्योग सहयोग: प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए उद्योगों के साथ सहयोग।
शिक्षक प्रशिक्षण और विकास:
1. सतत पेशेवर विकास: शिक्षकों के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण।
2. शिक्षक शिक्षा: शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों में सुधार।
डिजिटल शिक्षा:
1. राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा मंच: डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण।
2. ऑनलाइन पाठ्यक्रम: उच्च गुणवत्ता वाले ऑनलाइन पाठ्यक्रम विकसित करना।
समावेश और समानता:
1. समावेशी शिक्षा: सभी के लिए शिक्षा, विशेष रूप से विभिन्न
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